in article

शनिवार, 31 अगस्त 2013

Failure that can only highway tunnel breakthrough-सफलता का राजमार्ग असफलता कि सुरंग से ही निकलता है



सफलता का राजमार्ग असफलता कि सुरंग से ही निकलता है

सफलता एक छोटा पर बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द, हर एक व्यक्ति के अस्तित्व कि पहचान है सफलता, चाहे वो एक साधारण सा अनपढ़ मजदूर हो, या किसान हो, या एक student हो या फिर कोई छोटा-बड़ा business men  हो, हर कोई अपने क्षेत्र में उच्च कोटि कि सफलता प्राप्त करने को आतुर है और साथ ही प्रयत्नशील भी।

     पर क्या success पाना इतना आसन है कि हर कोई पा जाये, यदी हाँ तो फिर सफलता के प्रयास में लगे व्यक्ति को गर थोड़ा असफलता का स्वाद चखना पड़ जाता है तो वह विचिलित क्यों हो उठाता है? जब व्यक्ति लगातार सफलता के पथ पर बढ़ता रहता है तो वो खुश होता है और उससे भी आगेकि सफलता को पाने के प्रयत्न में उत्साह के साथ लगातार लगा रहता है।

    पर यही पर गर वो थोड़ा असफल हो जाता है तो वो इतना निराश हो जाता है कि, कभी-कभी तो वह जीवन का साथ तक छोड़ने के विचार अपने अंदर लाने लगता  हैं। क्या सफलता जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान रखती है कि जरा सी असफलता व्यक्ति को तोड़ कर रख देती है? क्या असफलता का जीवन में कोई स्थान नहीं है ? हाँ ये सच है कि किसी को भी जीवन में असफलता का कड़वा स्वाद पसंद नहीं है, पर ये भी सच है कि सफलता का राजमार्ग असफलता कि सुरंग से ही निकलता है। 

     यदी किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसके निर्धारित aim कि प्राप्ति में बाधाएं आ रही हैं या वो उनको पाने में बार - बार असफल हो रहा है तो उसे अपनी लछ्य कि प्राप्ति के लिए थोड़ा रुकना चाहिए और अपनी सफलता कि प्राप्ति में बाधक बने कारणों को खोजना चाहिए, जिनके कारण बार- बार असफलता का मुख देखना पड़ा। इन कारणों को ढूँढ कर उनका सावधानी से निराकरण करना चाहिए क्योंकि सफलता के सूत्र असफलताओं के झंझावातों से निकलते हैं । जब हम असफलता के कारणों को ढूंढ कर उनका निराकरण कर देते हैं तो फिर सफलता शत-प्रतिशत सुनिश्चित हो जाती है, और फिर इस सफलता को कोई रोक नहीं पाता।

    सफलता के परिद्रश्य में हम केवल उन बातों पे गौर करते हैं जिनका हमें क्रियान्वन करना होता है, परन्तु असफलता से हम उन स्थितियों व कारणों का भेद ढूढ़ते है जिनको सुधर कर उन में आवश्यक परिवर्तन कर अपनाते है, जिनसे हमें फिर सफलता सत- प्रतिशत अवश्य मिलती है।

    अतः असफलता के निदान- निराकरण में सफलता का सौन्दर्य निखरता है, और इस सफलता का सेहरा उसी के सिर बंधता- सजता है, जो अपने कर्तव्य और भावनाओं के बीच के द्वन्द में जीत को सुनिश्चित करता है

    क्योंकि मनुष्य के अंदर का द्वन्द असफलता का कारण होता है, व्यक्ति के अंदर का द्वन्द उसकी सम्पूर्ण मानसिक एवं भावनात्मक शक्ति को नष्ट कर देता है। जब व्यक्ति के पास positive energy ही नहीं होगी तो वो अपने aim- सफलता कि प्राप्ति के लिए आवश्यक साहस, शौर्य, पराक्रम कहाँ से जुटा पायेगा, अतः मनुष्य जब अपने अस्तित्व को धार दार व्रज बना कर अपने aim पर टूट पड़ता है तो उससे सफलता दूर नहीं, क्योंकि इससे कम में सफलता कि प्राप्ति संभव नहीं है।  


Did you like this inspiring and personal development article in Hindi? If yes, become a fan of this blog...please      


Related Post


Recommend links

Technical and Management links
Principle of management                                      

The Milestone-मील का पत्थर-A motivational story in Hindi


meel ka patthar 

मील का पत्थर

एक राहगीर अपनी मंजिल को पाने को अपने गंतव्य कि ओर बढ़ा चला जा रहा था A उसने राह में देखा, कि एक मील का पत्थर गडा हुआ था, जो उसको दूरी बता रहा था A राहगीर उस मील के पत्थर को देख के बोल उठा- “ दोस्त! तुम भी कैसे हो- जहाँ गड गये, वहाँ से हिलते भी नहीं A देखो, मेरी तरफ देखो ! सारे संसार का मैं भ्रमण करता हूँ, जहाँ चाहे अपनी मरजी से जाता हूँ A आनंद ही आनंद है A मौज ही मौज है A


पत्थर चुप-चाप राहगीर कि बाते सुनता रहा, फिर राहगीर कि बात पूरी होने पर, पत्थर ने बड़ी धीमी आवाज में लेकिन बहुत ही शिष्ट स्वर में राहगीर कि बात का उत्तर दिया - “ भाई! मुझे देख कर लोग अपनी मंजिल की दूरी का अनुमान लगाते हैं और संतुष्ट होते है कि उनकी मंजिल अब उनसे दूर नहीं है A उनको संतुष्ट देख कर मुझे संतोष व आनंद मिलता है A और ये संतोष क्या कम है जो लोगों के चेहरे पर मुझे देख कर आता है, जो मैं इनको सेवा धर्म के नाते दे पाता हूँ फिर मैं क्यों बिना किसी उद्देश के तुम्हारी तरह इधर से उधर भटकता फिरूं A यह भटकने वाला आनंद तुमको ही मुबारक ! मुझे तो मेरा यही सेवा रूपी जीवन पसंद है और ठीक लगता है A

राहगीर! मील के पत्थर का उत्तर सुन निरुत्तर हो गया और एक सेवा कि और हर हाल में आनंदित रहने कि सीख ले कर आगे अपने गन्तव कि ओर बढ़ गया A


Friend’s, आप को मेरी “मील का पत्थर” motivational story, Hindi में कैसी लगी? क्या ये story सबकी life (personalality) में positivity ला सकने में कुछ सहयोगी हो सकेगी, if yes तो please comments के द्वारा जरुर बताये A  


Related Post

Recommend links

Technical and Management links
       


    
     


  



शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

Intrepidity-निडरता (Fearlessness)- real life motivational story in Hindi on Swami Vivekananda life


निडरता

निर्भीक संत

स्वामी विवेकानंद जी कि निर्भीकता से हम सब भली भांति परिचित है वो एक कर्मठ देशभक्त, समाजसेवी व great sage थे, ये सारे गुण उनको उनके गुरु श्रीरामकृषण परमहंस कि कृपा और उनके सानिध्य से प्राप्त हुए। स्वामी जी बचपन से ही निडर थे साथ ही उनमें जिद्दी पन भी बहुत था। वो जिस बात पे अड़ जाते उसको मनवा के ही रहते थे। इसके साथ ही उनमें  नेतृत्व का गुण भी बचपन से ही विदमान था.

बचपन में सब swami Vivekananda को नरेन्द्र के नाम से पुकारते थे,
नरेन्द्र को कभी किसी बात से डर नहीं लगता था या हम कहे कि डर उनको छू भी नहीं पता था चाहे भुत-प्रेत कि ही बात क्यों न हो.
नरेन्द्र के जीवन कि एक घटना है जो उनकी निर्भीकता का ये प्रमाण देती है कि वो बचपन से ही कितने निडर थे।  
  
नरेंद्र के घर के पड़ोस में एक घर था, उस घर में चंपा का एक पेड़ था. नरेंद्र अपने साथियों के साथ अक्सर यहाँ खेलने आ जाते और चम्पा के पेड़ पर चढ़ जाते और अपनी जांघों कि कैंची बना पेड़ कि डाल को पकड़ कर उल्टा झूलने लगते थे। एक दिन नरेन्द्र इसी तरह एक ऊँची डाल पे उल्टा लटक के झूला झूल रहे थे, बिलकुल चमगादड़ कि तरह।

घर के मालिक ने जब यह देखा तो डर गये कि बालक कही गिर न पड़े, और यदी यह बालक गिर पड़ा तो इसका सिर फट जायेगा, यह सोच कर वह कांप उठे।

इसलिए उन्होंने नरेन्द्र को डराने कि सोची और कहा- “ बेटा नरेंद्र! आगे से इस पेड़ पर मत चढ़ना, इस पेड़ पर एक ब्रह्म राक्षस (बड़ा प्रेत) रहता है जो बहुत विकराल है। जब कोई इस पेड़ पर चढ़ता है, तो वो नाराज हो जाता है और उसको बहुत क्रोध आ जाता है और फिर वो उन सब को मारता है ।”

नरेन्द्र चुप चाप उसकी बात को सुनते रहे, घर के मालिक ने नरेन्द्र को चुप देखा, तो समझा कि वह अब डर गये है और अब वह चम्पा के पेड़ पर इस तरह नहीं चढ़ेंगे। यह सोच कर वह वहां से घर के अंदर चले गये।
पर उनके जाते ही नरेन्द्र फिर चम्पा के tree पर चढ़ गये और अपने साथियों से बोले,” आज तो मैं इस ब्रह्म राक्षस को देखकर ही रहूँगा  कि वो कितना बड़ा है,” यह सुन, उनके साथी डर गये, और बोले- ‘ना बाबा वो हम सबको मर डालेगा।’

इस पर नरेन्द्र ने हँस कर कहा-“ अरे! ये सब बातें हम लोगों को डराने के लिए कही गई हैं । वास्तव में आज तक ब्रह्म राक्षस को किसी ने देखा भी हैं?     
          
                   

        One Request-Did you like this motivational Story in Hindi? If yes, become a fan of this blog...please



Related Post
सच्ची विजय                                                                                                         IncredibleHumility
धन कि वृद्धि लगातार कैसे करें                                                              How to increase wealthconstantly


Technical and Management article 



quotes from yug-nirman yojana - Shri Ram Sharma Aacharya- shantikunj-Haridwar




सद्वाक्य- युग निर्माण योजना

आज “page 3 in Hindi” में मैं गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य जी के युग निर्माण योजना, मथुरा से प्रकाशित सद्वाक्यों के कुछ अनमोल मोतियों का collection ले कर आयी हूँ। ये सद्वाक्य सन 2012 कि पुस्तकों में दिए गये है। इन सद्वाक्यों को में उनके हिंदी के original रूप के साथ इनका English में translation भी कर रही हूँ और उमीद करती हूँ कि ये ट्रांसलेशन सब को पसंद आयेगा और गुरु जी के ये सद्वाक्य Hindi और English में world के सभी लोगों के पास पहुँच सकेंगे और सब के काम आ सकेंगे जिनको हिंदी आती है उनके भी और जिनको हिंदी का ज्ञान नहीं है उनके भी।   

Prestige:     
Quotes-1) प्रतिष्ठा इनसान के बाहर से आती है और चरित्र भीतर से विकसित होता है।
Dignity of human beings comes from outside, And character is developed from within.

Quotes-2) आपकी प्रतिष्ठा एक घंटे में जानी जा सकती है और चरित्र एक साल तक रोशनी में नहीं आता।
Your reputation may be an hour, and character does not come to light until a year.

Quotes -3) प्रतिष्ठा आपको अमीर या गरीब बनती है और चरित्र आपको सुखी या दुखी बनता है।
Reputation makes you rich or poor, and character makes you happy or unhappy.

Quotes -4) एक व्यक्ति अपने चरित्र का ध्यान रखेगा तो प्रतिष्ठा अपना ध्यान खुद रख लेगी।
A person will take care of your character, so reputation will take care of me.

karm
Quotes-5) प्रसन्नता तभी प्राप्त होती है, जब आपकी कथनी और करनी में समानता हो।
Happiness is achieved when you are similarities in words and deeds.  

Quotes-6) केवल विचारों में बहने वाले व्यक्ति, जीवन में सफल नहीं होते।
The only person in the ideas flowing, do not succeed in life.

Quotes-7) अशिक्षा का कारण साधनहीनता नहीं, उपेक्छा है।
Shiftlessness not the cause of illiteracy, it is incognizance.

Quotes-8) सफाई, आरोग्य और सौंदर्य दोनों देती है।
Sanitation, health and beauty offers both.

The auspicious Thoughts
Quotes-9) बड़प्पन दुःख देने में नहीं, दुःख दूर करने में है।
Nobility not to sorrow, sorrow is to remove.

Quotes-10) ईर्ष्या करने वाला अपना ही खून सुखाता है।
Dry your own blood is to be envied.

Quotes-11) ईमानदारी एक आदत है जो व्यक्ति हर समय सही काम करके डालता है हर दिन, हर रात, हर सप्ताह, हर साल।
Honesty is a habit which puts the person doing the right thing all the time, every day, every night, every week, and every year.

Quotes-12) निराशा से विजय के बहुमूल्य अवसर खो जाते हैं।
Valuable opportunities are lost to despair of victory.
          
Request-युग निर्माण योजना” मिशन-मथुरा, के दवरा उनकी विभिन्न पुस्तकों में प्रकाशित ये motivated and inspirational quotes का collection आप को कैसा लगा? क्या ये आप के जीवन में उपयोगी है ? please हमें ये comment के द्वरा जरुर बताने का कष्ट करें, और गर पसंद आये हो तो इनको share भी करें.. जिससे महापुरषों के जीवन-उपयोगी इन सुविचारों कि खोज जारी रहे, और आप सब तक पहुँचती रहे।
अंत में आप सब readers को मेरा धन्यवाद!

Related article

Motivational story-links                        comp-tech links
I havecome home, I am not deemed guest             



गुरुवार, 29 अगस्त 2013

swami Vivekananda's motivational thoughts based on "Faith and Strength"



विश्वास और शक्ति

मेरे “page-3 in Hindi” के पहले लेख में मैं स्वामी विवेकानन्द जी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का collection ले कर आई हूँ जिनको उन्होंने विभिन्न विषयों पर विभिन्न समय और स्थान पर मानव जाति के कल्याण के लिए संसार के सम्मुख कहे थे



आज इस लेख के प्रथम भाग में मैने Swami Vivekananda जी के उन शक्ति- दायी विचारों का संग्रह किया है, जिन को उन्होंने मनुष्यों में विश्वास और शक्ति का जागरण करने के लिए अपने शिष्यों से उनके बीच कहे थे। ये विचार सिर्फ उनके शिष्यों में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण world के लोगों में विश्वास और शक्ति का जागरण कर रहे हैं।

स्वामी विवेकान्दजी के इन विचारों को मैनें उनके विभिन्न मठों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों से लिया है जिनको में बचपन से अपनी डायरी में लिखा करती थी, इसलिए इन पुस्तकों के नाम देने में मैं इस समय असमर्थ हूँ ,इस के लिए मुझे छमा करे।

विश्वास

Ø जो अपने आप में विश्वास नहीं करता, वो नास्तिक है। प्राचीन धर्मों ने कहा है, वह व्यक्ति नास्तिक है जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता। नया धर्म कहता है, वह  नास्तिक है जो अपने आप में विश्वास नहीं करता।

Ø विश्वास, विश्वास, अपने आप में विश्वास, ईश्वर में विश्वास- यही महानता का रहस्य है। यदी तुम पुराण के तैंतीस करोड़ देवताओं और विदेशियों द्वारा बतलाये हुए सब देवताओं में विश्वास करते हो, पर यदी अपने आप पे विश्वास नहीं करते, तो तुम्हारी मुक्ति नहीं हो सकती। अपने आप में विश्वास करो, उस पर स्थिर रहो और शक्तिशाली बनो।

Ø हम देख सकते हैं कि दो मनुष्यों के बीच अंतर होने का कारण उनका अपने आप में विश्वास होना ही है। अपने आप में विश्वास होने से सब कुछ हो सकता है। मैनें अपने जीवन में इसका अनुभव किया है, अब भी कर रहा हूँ और जैसे-जैसे मैं बड़ा होता जा रहा हूँ, मेरा विश्वास और भी मजबूत होता जा रहा है ।

Ø कोई भी जीवन असफल नहीं हो सकता; संसार में असफल कही जाने वाली कोई वस्तु है ही नहीं। सेकड़ों बार मनुष्य को चोट पहुँच सकती है, हजारों बार वह पछाड़ खा सकता है, पर अंत में वह यही अनुभव करेगा कि वह स्वयं ही ईश्वर है।

Ø तुम्हारी सहायता कौन करेगा? तुम स्वयं ही विश्व कि सहायता स्वरूप हो। इस विश्व कि कौन सी वस्तु तुम्हारी सहायता कर सकती है। तुम्हारी सहायता करने वाला मनुष्य, ईश्वर या प्रेतात्मा कहाँ है? तुम स्वयं ही विश्व के रचियता भगवान हो, तुम किस से सहायता लोगे ? सहायता और कहीं से नहीं, पर अपने आप से ही मिलती है और मिलेगी। अपनी अज्ञानता कि स्थिति में तुमने जितनी प्रार्थना कि और उसका तुम्हे जो उत्तर प्राप्त हुआ, उसे तुम समझते रहे कि वह उत्तर किसी और व्यक्ति ने दिया है, पर वास्तव में तुम्हीं ने अनजाने में उन प्रार्थनाओं का उत्तर दिया है।  


Request- स्वामी विवेकानन्द जी के “स्वयं पर-विश्वास” विचारों का यह collection आप को कैसा लगा? क्या ये आप के जीवन में उपयोगी है ? please हमें ये comment के द्वरा जरुर बताने का कष्ट करें, और गर पसंद आये हो तो इनको share भी करें.. जिससे महापुरषों के सुविचारों कि ये खोज जारी रहे, और आप सब तक पहुँचती रहे।                             
            
   
Recommend Links

Digital Hacks

Search Engine Optimization Tips


Recommend articles
सच्ची विजय                         
धन कि वृद्धि लगातार कैसे करें