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मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

Who believe in the power of self, No work is impossible for them- a motivational and inspirational true real life story in Hindi.


      जिनको स्वयं की शक्ति पर विश्वास हो,

         उनके लिए कोई भी कार्य असम्भव नहीं होता  


Who believe in the power of self, 
No work is impossible for them.

एक बार श्रावस्ती में बड़ा घोर अकाल पड़ा, तब भगवान बुद्ध ने अपने सभी शिष्यों और अनुयायिओं से पूछा –“ तुम में से कौन -कौन  इन भूखों के भोजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठा सकता है ।”

रत्नाकर शाह ने तुरन्त कहा –“ अकाल से छुब्ध लोगों के लिए तो मेरे पास जो धन है उससे कहीं अधिक धन की आवश्यकता होगी जो मेरे पास नहीं है ।”

यह सुन कर बुद्ध मौन रहे और फिर एक नज़र अपने चारों और दौड़ाई ।

वही पर एक तरफ श्रावस्ती के king के सेनापति खड़े थे, उन्होंने कहा –“ इनके लिए मैं अपनी जान तक दे सकता हूँ, पर मेरे पास भी इतनी सम्पत्ति नहीं है की में कोई help कर सकूँ ।”

सैकड़ों बीघे भूमि के मालिक धर्म पाल ने गहरी श्वास लेते हुए कहा –“ प्रभु में चहुँ तो भी कुछ नहीं कर सकता। मेरी तो सारी खेती ही अकाल के कारण नष्ट हो गयी। राजा का “कर” कैसे चुकाऊगा, मुझे तो यही नहीं सूझ रहा ।”
बुद्ध यह सुन कर भी मौन रहे ।

अंत में एक beggar की daughter सुप्रिया ने उठ कर सभीका अभिवादन किया और संकोच भरे शब्दों में प्रभु से कहा –“मैं इनके भोजन की व्यवस्था करने का भार उठाऊंगी । मैं दूंगी भूखों को भोजन ।”

beggar की kanya  की यह बात सुन कर सभी आश्चर्यचकित हो एक साथ पूंछ बैठे –“ अरे ! किस प्रकार..? तुम किस प्रकार इस व्यवस्था को पूरा कर सकती हो..? तुम्हारे पास न तो इतना धन है और न ही तुम्हारे पास इतना सामर्थ्य कि तुम इतनी बड़ी प्रतिज्ञा पालन का कर्तव्य पूरा कर सको ।”

इस पर सुप्रिया ने answer दिया –“मैं सबसे गरीब हूँ , पर यही मेरी शक्ति है । मेरी शक्ति और भण्डार सब के घरों में ही हैं ।”

भगवान तथागत ने उस beggar की Virgo कि बात सुन कर कहा – “मैं निश्चिन्त हूँ की भूखों को भोजन कराने का कार्य सही हाथों ने लिया है । जिनको स्वयं की शक्ति पर विश्वास हो उनके लिए कोई भी कार्य असम्भव नहीं होता ।”          
  
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शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

Caste no sense for God, for God only Feeling are grow- this is a real life true inspirational story- God Mahadev and his devotees in Hindi,


जाति नहीं भगवान के लिए भाव बड़े होते हैं 

God values only feelings

Caste no sense for God, for God only Feelings are grow


Friends, आज में आप लोगों के बीच एक पुराणों में अति प्रसिद्ध कथा है, उसे share करने जा रही हूँ यह story एक शिवभक्त की है जो कि पुराणों में व ईश्वर भक्तों में अति famous है

एक लड़का था, जो कि निम्न जाति से था । पर उसे नित्य God Mahadev का ध्यान करना, उनकी आराधना करना प्रिय था । उसका प्रतिदिन का कर्म था की वह नित्य Shiv- temple आता । साथ में अपने घर एक तेल का दिया लाता और उसे नित्य मंदिर में जलाता । जब तक वह temple में रहता, God Mahadev की आराधना करता रहता और दीये को जलाये रखता। इसके लिए वो अपने साथ हमेशा अतरिक्त तेल लेकर आता था और दिये को जलाये रखता जिससे दीया बुझने ना पाए ।       

धीरे –धीरे वह दीया जलाने के साथ –साथ shiv जी का प्रदोष व्रत भी करने लगा । उसके अंदर God Shiv के लिए इतना अनुराग जाग्रत हुआ कि वो प्रदोष व्रत के साथ- साथ शिवरात्रि का वर्त भी करने लगा। वह नित्य शिवलिंग पर जल चढ़ाता और Shiv भजनों को गुनगुनाता। पर इन सब कर्मकाण्डों के बावजूद उसका साधना का भाव सब से अलग था। और God Mahadev ने इस भाव को पढ़ लिया था ।  इस भाव के कारण God Mahadev अपने इस भक्त से अति प्रसन्न थे । और इसका कारण इस भक्त की वह भाव साधना ही थी जिसके कारण वह नित्य मंदिर में दीप जलाता था ।

इस भक्त की साधना का भाव यह था कि “हमारी इस सृष्टि में सदा प्रकाश फैलता रहे । कभी कही भी अन्धकार का साम्राज्य न हो ।” इसके अलावा उस भक्त के अंदर कोई कामना नहीं थी । भगवान शिव जी उसके इस संसार के कल्याण की भावना से इतने प्रसन्न हुए कि उसे Shiv जी ने अपना प्रिय बना लिया । वह शिव जी का इतना प्रिय बना कि शिव ने उसे कुबेर पद देकर, एश्वर्य को सभाले रखने के दायित्व को धारण करने वाला बना दिया ।     

भगवान कभी भी किसी की जाती नहीं देखते। और न ही व्यक्ति के कर्मकांडों को वो तो सिर्फ भक्त के भावों को देखते हैं । भगवान को तो सिर्फ भाव ही प्रिय हैं ।  

Friend’s, आप को मेरी, “जाति नहीं भगवान के लिए भाव बड़े होते हैं”” motivational story, Hindi में कैसी लगी? क्या ये story सबकी life (personality) में positivity ला सकने में कुछ सहयोगी हो सकेगी, if yes तो please comments के द्वारा जरुर बताये ।   

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गुरुवार, 21 नवंबर 2013

A simple man become Nobel Prize winning scientist from a Sentry- A true motivational real life story in Hindi


एक साधारण आदमी एक संतरी से नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक बना   




A  simple man become Nobel Prize winning scientist from a Sentry

friends हम सब जानते है कि एक घटना, एक वाकया, लोगों की जिंदगी बदल देती है । ऐसे ही प्रसद्धि Nobel Prize Winner बर्नर हाईजनबर्ग के जीवन की है ।
पश्चिमी जर्मनी के बर्नर हाईजनबर्ग भी Nobel Prize के विजेता होने से पहले एक साधारण संतरी थे और इनके जीवन को एक book ने बदल दिया । एक book ने एक simple man को जो एक Sentry था  उसे एक विलक्षण Scientists बना दिया।

एक book एक व्यक्ति की life के कितने आयाम खोल सकती है उसे कितना प्रभावित कर सकती है इस बात का जीवन्त example है महान बर्नर हाईजनबर्ग।
बर्नर हाईजनबर्ग जब nineteen years के थे तब वह एक school में Sentry की duty किया करते थे । one day उन्हें duty देते समय कहीं से एक book मिली। यह book प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो की थी जिसका नाम तिमैयसथा । इस book में प्राचीन यूनान के भौतकी के प्रमाणिक सिद्धांत दिए हुए थे ।

तिमैयस नाम की इस पुस्तक ने एक व्यक्ति को संतरी से famous scientist बना दिया । बर्नर हाईजनबर्ग ने जब यह book पढ़ी तो उनको इतनी रूचि हुई की उन्होंने भौतकी के क्षेत्र में कुछ करने की ठान ली । फिर क्या था, उन्होंने इतनी मेहनत की कि वह 23 year की आयु तक अपनी बेजोड़ प्रतियों के बल पर गोटिजेन में प्रोफेसर मैक्स प्लांक के सहायक के पड़ पर नियुक्त हो गये । फिर तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं । वह एक के बाद एक सफलता के नए शिखर पर चढ़ते गये ।

अपने जीवन के चौबीसवें साल के बीतने तक कोपेन हेगन के university में lecturer हो गये थे । और 26 year की age में वह लीपजिंग में professor की post पर आसीन हो गये । और 32 वर्ष की age तक पहुँचते पहुँचते अपने अनुसन्धानों के base पर भौतकी विज्ञान में उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें Nobel Prize प्रदान किया गया ।

     इस प्रकार तिमैयसनाम की एक book ने एक साधारण से संतरी को एक विश्व विख्यात Nobel Prize विजेता वैज्ञानिक बना दिया ।


Friend’s, आप को मेरी A simple man become Nobel Prize winning scientist from a Sentry” true motivational story, Hindi में कैसी लगीक्या ये story सबकी life (personalty) में positivity ला सकने में कुछ सहयोगी हो सकेगी, if yes तो please comments के द्वारा जरुर बताये   



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रविवार, 27 अक्टूबर 2013

Intrepidity of Gopal Krishna Gokhale – a freedom fighters real life true story in Hindi




Intrepidity of Gopal Krishna Gokhale 



Intrepidity of Gopal Krishna Gokhale – a real life true story

गोपाल कृष्ण गोखले की निडरता 

गोपाल कृष्ण गोखले एक ऐसा नाम जिसे अंग्रेज भी बड़ी इज्जत से लेते थे।एक ऐसे स्वाध्यायी व विद्वान जिनके बारे में स्वयं उस समय के भारतीय कमांडर –इन चीफ किचनर ने कहा था –“गोखले ने यदी कोई अंग्रेजी पुस्तक नहीं पड़गी है तो अवश्य वह पढ़ने योग्य होगी ही नहीं

गोपाल कृष्ण गोखले एक ऐसी विभूति जिसने भारतीय जन-जीवन में स्वाधीनता का मन्त्र ऐसा फूका कि अंग्रेज हिल गये । एक ऐसे राजनीतिज्ञ जिन्हें गाँधी जी भी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे और उनसे advice लेते थे ।

गोपाल कृष्ण गोखले जब छोटे थे तभी से उनमें निडरता विद्वत्ता के गुण नज़र आते थे । एक बार वो school में थे वहाँ पर उनसे बड़ी age के एक boy ने उनका हाथ तेजी से पकड़ लिया और उनको डारते हुए बोला; क्या तुझे मुझ से डर नहीं लगता में बड़ा हूँ तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ इस पर गोपाल कृष्ण गोखले बोले – “मैं तो अंग्रेजों से भी नहीं डरता तो तुमसे क्यों कर डरूं तुम तो अपने हो।”  

इस पर उस बड़े लड़के ने गोपाल की आखों में आखें गड़ाते हुए बोला –“ क्या तुझे अंग्रेजों से डर नहीं लगता, उनसे तो सब बच्चे डरते हैं।” इस पर नन्हें गोपाल ने उसकी आखों में आखें डालते हुए कहा –“मैं भला उन अंग्रेजों से क्यों डरूं ?”

तभी वहाँ एक अन्य लड़का आ गया और गोपाल का मजाक उड़ाते हुए बोला, अरे भाई! तुमने गोपाल से गलत question पूछा लिया है । तुमको पूछना चाहिए था। गोपाल ! क्या अंग्रेज तुम से डरते हैं ? तब गोपाल बोलता, हाँ अंग्रेज मुझसे डरते हैं। और ये कह कर वो लड़का हँसने लगा।  

इस पर उस लड़के से गोपाल बड़ी ही सहजता से बोले – “हाँ भैया तुम बिल्कुल सही कह रहे हो ! अंग्रेज हम सभी से डरते हैं, सभी देशवासियों से डरते हैं, हमारे village में रहने वोलों से डरते हैं। तभी तो वे हमेशा घोड़े पर सवार होकर हाथ में चाबुक लेकर चलते हैं  और छोटी- छोटी बात पर हमारी गरीब , निर्दोष जनता पर चाबुक चला देते हैं । वे हमे डराते हैं क्योंकि वो हमसे डरते हैं।”

वहां खड़े दूसरे लड़के- लड़कियां गोपाल कि बात सुन कर, उसकी तारीफ करने लगे और तालियाँ बजाते हुए बोले वाह- वाह गोपाल तुम सच में निडर हो। तुम्हारे विचार बहुत उच्च हैं ।

तभी पीछे से एक आवाज आयी- गोपाल! यहाँ आओ। सब ने चौक के देखा तो पीछे school के head master खड़े थे । सब ने उनको wish किया और चुप चाप खड़े हो गये ।

head master के हाथ में एक छड़ी थी जिससे इशारा कर के उन्होंने गोपाल को बुलाया था । सभी बच्चे डर गये कि अब गोपाल की ख़ैर नहीं । कुछ बच्चे सोचने लगे, “अच्छा ही है कि गोपाल पिटे। पिददा सा है और बड़ी- बड़ी बाते करता है न जाने खुद को क्या समझता है। हमेशा, छोटे मुह बड़ी बात।”  
  
पर गोपाल बिना डरे, बड़ी निर्भीकता के साथ head master के पास गये और head master को wish करते हुए उनके सामने खड़े हो गये और बोले जी guru जी, head master ने उनको शाबाशी देते हुए कहा- “शाबाश मेरे बच्चे।” और गोपाल को अपने सीने से लगा लिया। और उसके कंधे थपथपाते हुए बोले-“ मुझे तुम पर गर्व है और आने वाला कल भी तुम पर गर्व करेगा। तुम अवश्य ही देश का नया इतिहास लिखोगे।”



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