आप
इनमें से कौन सा व्यक्तित्व रखते हैं...?
childs in pool |
कुछ लोगों की आदत
होती है कि वो all time कुछ न कुछ सब को सिखाते ही रहते हैं.. उन्हें दूसरों को
भाषण देना बहुत अच्छा लगता है चाहे कोई उनकी सुने या न सुने.. पर वो तो सिखाने पर
तुले ही रहते हैं.. ऐसे लोग स्वयं तो उस सीख का जो दूसरों को दे रहे होते हैं पर
अमल नहीं करते, पर दूसरों से उमीद करते हैं की उसे पर वो अमल करें । ऐसे लोग न तो स्वयं का और न
ही किसी और का कुछ भला कर पाते हैं । केवल अपना और दूसरों का time बरबाद करते
हैं.. क्योंकि निर्थक उपदेशों से कुछ हाथ नहीं लगता... ऐसे ही लोगों के लिए आज मैं एक कहानी लेकर आई
हूँ । इस story में दो ज्ञानवान पात्र हैं ... बस आप को तय करना है कि आप इनमें से
कौन हैं...?
एक दिन की बात है, एक little child तालाब के किनारे खेल रहा था ।
वहीँ पास में उस child के father बैठे news paper पढ़ रहे थे । बच्चा खेलते – खेलते
तालाब के पानी में उतर गया । तालाब बहुत गहरा था । बच्चा तालाब में डूबने लगा । जब
उसके father ने यह देखा तो उसे बचाने की जगह पर किनारे पर ही खड़े हो कर अपने बच्चे
को उसने उपदेश देना शुरू कर दिया... कि और मत मनो मेरी बातें.. मने तुमसे कहा था
कि पानी में नहीं जाते... “ले, मेरा कहना न मानने का फल अब भुगत।”
Child drowning in water |
तभी वहाँ से एक संत निकले और तालाब में कूद गये और बच्चे को बचा लिया
। उसके बाद वह बच्चे के father से बोला – “ पहले उसे डूबने से बचाओ, फिर अपना भाषण
दो ।”
ये सच है कि every moment केवल लोगों को उपदेश देते रहना ही उपयुक्त
नहीं है बल्कि उस उपदेश पर सबसे पहले स्वयं अमल कने की जरूरत होती है । जो लोग हर
समय सिर्फ उपदेश देने का कार्य करते हैं ऐसे व्यक्तियों को अपने कर्तव्य का भान
सर्व प्रथम करना चाहिए और यदी कोई ऐसा नहीं करता तो उनको उनके कर्तव्य का ज्ञान कराना
ज्ञानीजनों का पहला कार्य है ।
तो अब बताइए कि आप इस
कहानी के दोनों ज्ञान वान पात्रों में से आप कौन हैं ।
One
Request: Did you like this personal
development base motivational story in
Hindi? If yes, become a fan of this blog...please
अंत में आप सब readers
को मेरा धन्यवाद!
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