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मन के हारे हार, मन के जीते जीत
किसी विद्वान ने
क्या खूब कहा है- “मन के हारे हार मन के जीते जीत है”
इस वाक्य कि गहराई
में जाया जाये, तो इस वाक्य कि सार्थकता का पता चलता है कि मन कितना बलवान है जो
किसी को भी हरा या जीता सकता है । पर ये सच है मन येसा कर सकता है क्योंकि हमारे
शास्त्रों में मन को ही बंधन और मन को ही मुक्ति का कारण माना गया है । शुद्ध, शांत, निर्मल और स्थिर मन
मनुष्य को उत्कर्ष कि ओर ले जाता है वही पर चंचल, अस्थिर कुलषित एवं कुसंस्कारों
से भरा हुआ मन मनुष्य को पतन व पराभव के मार्ग पर धकेलता है ।
मन तो स्वभाव से ही चंचल होता है इस कारण यह किसी एक विषय पर नहीं
टिकता ही नहीं है बार – बार एक को छोड़ दूसरे कि तरफ आकर्षित हो उस ओर दौड़ता रहता
है । मन न जाने कितने अनगिनत संस्कारों का आगार होता है और वे समय – समय पर मन को
अपनी ओर प्रेरित करते रहते हैं, इस संस्कारों को हटा पाना आसान नहीं होता है और जो
येसा करते हैं वे महारथी कि तरह अपने goal कि तरफ बिना किसी विघ्न बाधा के बढ़ते
जाते हैं ।
एक बार स्वयं महा रथी अर्जुन ने मन कि चंचलता पर भगवान श्रीकृष्ण से
कहा था-
चच्चलम हि मन: कृष्ण
प्रमाथि बलवद्दढम ।
तस्याहम निग्रहम मन्ये
वायोरिव सुदुष्करम ।।
अर्थात- “ है कृष्ण ! यह मन बड़ा ही
चंचल है, मनुष्य को मथ डालता है। यह बड़ा शक्ति शाली है । वायु कि तरह ही मन को वश में करा कठिन
मानता हूँ ।“
यह सुन कर भगवान् कृष्ण जी ने
अर्जुन से कहा- इसे चंचल व प्रमथन nature वाले मन को अपने वश में करने का उपाय
सुनो-
असंशयं महा बाहो मनो दुर्निग्रहम चलं
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैरा।ग्येण च गृहंते ।।
अर्थात- “ हे महा बाहो !
नि: संदेह मन बड़ा चंचल है । यह रुक नहीं सकता, परन्तु हे कौन्तेय ! अभ्यास और
वैराग्य से यह वश में किया जा सकता है ।“
अतः मन को निर्मल संस्कारवान बनाने और उसकी चंचलता को विराम देने के
लिए उचित कदम जीवन में उठाने आवश्यक है जिससे life का specified aim पाने के लिए
योजना बनाई जा सके । और उसी के अनरूप भावनाओं और विचारों के चिंतन में मन को लगा
देना चाहिए, इसके आलावा मन को और कही नहीं
जाने देना चाहिए । मन चाहे या न चाहे, वह
कितना भी भागे, उसे पकड़ कर अपने लक्ष्य पर बार – बार लगाना चाहिए । इसके अलावा बाकी सभी विरोधी
thoughts व emotions की तरफ
से मन को हटाने का पूरा प्रयत्न करते रहना चाहिए । इससे मन एक लक्ष्य पर लगने
लगता है और इस एकाग्र मन को जिस दिशा में
भी लगाते हैं उस दिशा में सफलता हाथ फेलाये राहों में आप का इन्तजार करती है, और
इसीलिए कहते है कि मन के हारे हार और मन के जीते जीत है ।
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जवाब देंहटाएंVery nice post ma'am 😀
जवाब देंहटाएंVery nice post
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