meel ka patthar |
मील का पत्थर
एक
राहगीर अपनी मंजिल को पाने को अपने गंतव्य कि ओर बढ़ा चला जा रहा था A उसने राह में देखा, कि एक मील का पत्थर
गडा हुआ था, जो उसको दूरी बता रहा था A राहगीर उस मील के पत्थर को देख के बोल
उठा- “ दोस्त! तुम भी कैसे हो- जहाँ गड गये, वहाँ से हिलते भी नहीं A देखो, मेरी तरफ देखो ! सारे संसार का मैं
भ्रमण करता हूँ, जहाँ चाहे अपनी मरजी से जाता हूँ A आनंद ही आनंद है A मौज ही मौज है A
पत्थर
चुप-चाप राहगीर कि बाते सुनता रहा, फिर राहगीर कि बात पूरी होने पर, पत्थर ने बड़ी
धीमी आवाज में लेकिन बहुत ही शिष्ट स्वर में राहगीर कि बात का उत्तर दिया - “ भाई!
मुझे देख कर लोग अपनी मंजिल की दूरी का अनुमान लगाते हैं और संतुष्ट होते है कि
उनकी मंजिल अब उनसे दूर नहीं है A उनको संतुष्ट देख कर मुझे संतोष व आनंद मिलता
है A और ये संतोष क्या कम है जो लोगों के
चेहरे पर मुझे देख कर आता है, जो मैं इनको सेवा धर्म के नाते दे पाता हूँ फिर मैं क्यों
बिना किसी उद्देश के तुम्हारी तरह इधर से उधर भटकता फिरूं A यह भटकने वाला आनंद तुमको ही मुबारक !
मुझे तो मेरा यही सेवा रूपी जीवन पसंद है और ठीक लगता है A”
राहगीर!
मील के पत्थर का उत्तर सुन निरुत्तर हो गया और एक सेवा कि और हर हाल में आनंदित
रहने कि सीख ले कर आगे अपने गन्तव कि ओर बढ़ गया A
Friend’s, आप को मेरी “मील का पत्थर” motivational story,
Hindi में कैसी लगी? क्या ये story सबकी life (personalality)
में positivity ला सकने में कुछ सहयोगी हो सकेगी, if yes तो please comments के
द्वारा जरुर बताये A
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Nice post ma'am
जवाब देंहटाएंHum isse yhi sikhenge ki Kuch bhi ho aapko apne aap me postivpo rahna chahiye
जवाब देंहटाएंवाह अति सुंदर
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