दो दोस्त और श्मशान घाट
two friends and their ambitions |
Two friends and cremation grounds
एक गाँव
था वहाँ दो लड़के तोलू और मोलू रहते थे, दोनों की life और behavior में जमीन-
आसमान का अंतर था । तोलू सीधा - साधा जीवन जीने वाला और
थोड़े में संतोष करने वाला था ।
वहीँ मोलू बड़े- बड़े सपने देखने वाला था, उसे जो भी मिले उसके लिए कम
था । उसे अपनी पूरी life में कभी संतोष नहीं हुआ । वो हमेशा money कमाने और बढ़ाने
के बारे में ही सोचता रहता ।
तोलू और
मोलू दोनों के behavior में इतना अंतर होने के बाद भी दोनों में बड़ी मित्रता थी । वो अपने गाँव से एक साथ higher education के लिए एक साथ शहर
आये । और वहाँ के college में admission देखने लगे ।
तोलू ऐसा college ढूंढ रहा था जहाँ पढाई अच्छी होती हो और पढाई का
खर्च भी कम हो, वहीँ मोलू एक हाई- फाई college में admission लेना चाहता था । और
दोनों ने अपने – अपने पसंद के college में admission ले लिया ।
तोलू ने जीवनोपयोगी और सामाजिक subject चुने वहीँ पर मोलू ने अधिक धनवान
और भौतिक सुखों को दिलाने वाले subject चुनें ।
फिर कुछ समय बाद तोलू और मोलू दोनों ने अपनी – अपनी शिक्षा पूर्ण कर
अपने – अपने जीवन में आगे बढ़ गये।
तोलू ने अपनी शिक्षा पूरी कर के अपने गाँव के विकास के लिए एक छोटा
सा school गाँव में open किया और स्वयं वहां पर teaching करने लगा । इस प्रकार
अपने गाँव के लोगों की सेवा करता हुवा, बड़े संतोष और धीरज से अपना जीवन चलता रहा ।
और जीवन भर मस्त और आनद से रहा ।
उधर मोलू ने शहर में ही बड़ा business डाला और नयी - नयी company
खोलता रहा और अपने धन को आगे बढ़ाने के और ज्यादा से ज्यादा सुख प्राप्ति के उपाय
ही ढूंढता रहा । वो हमेशा rupees के, लेन – देन के हिसाब –किताबों में ही
उलझा रहा । उसे कभी अपनी life में संतोष की प्राप्ति नहीं हुई ।
फिर उनकी life में एक दिन ऐसा आया कि दोनों की एक मुलाकात एक बार फिर
हुई । पर ये मुलाकात श्मशान घाट पर तब हुई जब दोनों अपनी अंतिम यात्रा पर थे ।
तोलू और मोलू दोनों श्मशान घाट पर शव शय्या पर पड़े थे और चिता पर
जाने का इंतजार कर रहे थे ।
जब तोलू ने मोलू को देखा तो वो उसे देख कर मुस्कराने लगा ।
इस पर मोलू ने तोलू से पूंछा –“ तू इस तरह से मुस्कुरा क्यों रहा है ।
हम दोनों ही तो एक ही स्थिति में हैं ।”
इस पर तोलू ने कहाँ –“ नहीं मेरे भाई हम दोनों एक ही स्थिति में नहीं
हैं।”
इस पर मोलू ने फिर पूँछा वो कैसे...?
तोलू ने कहा –“ मोलू तुम जीवन भर भौतिक सुख – साधन के पीछे भागते रहे
हो और दिन- रात पैसों के हिसाब – किताब में ही उलझे रहे यहाँ तक आज जब तुम्हारे
जीवन की अंतिम यात्रा है तब भी तुम पैसों के हिसाब – किताब में ही उलझे हो ।
श्मशान घाट पर भी जीवन के सुख – वैभव का, रूपये – पैसे की कामना में ही लिप्त हो ।
ये जानते हुए भी कि यहाँ से आगे कुछ भी साथ नहीं जाता ।”
फिर मोलू ने कहा मित्र और तुम...?
इस पर तोलू बोला – “ मैने अपना जीवन सदाचार और सेवा में लगाया जो
थोड़ा मिला उसमे संतोष किया और जीवन के हर पल को मस्ती और आनंद के साथ जिया । मैं
जीवन भर मस्त और प्रसन्न रहा और अब जब सब से अंतिम विदा ले रहाँ हूँ तो भी वही
प्रसन्नता और वही संतोष है ।”
अच्छा भाई मोलू मैं अब चला। ये कह कर तोलू चला गया ।
The final journey of life |
पर मोलू फिर से अपने हिसाब – किताब की बातों में उलझ गया ।
friends, सच कहते है कि व्यक्ति का जीवन जैसा होता है, और वो अपने
जीवन भर में जैसा आचरण करता है । उसका आहार – विहार, उसका आचरण जीवन के बाद भी
मौजूद रहता है । व्यक्ति का आचरण और संस्कार उसकी मृत्यु आ जाने के बाद भी उसका
पीछा नहीं छोड़ते ।
इसलिए दोस्तों हमारा मानना है कि हमें हमेशा जीवन में संस्कारों पर ध्यान देना चाहिए । क्योकि जैसे संस्कार जीवन में आते जायेंगे, हमारा जीवन भी वैसा ही बनता चला जायेगा।
इसलिए दोस्तों हमारा मानना है कि हमें हमेशा जीवन में संस्कारों पर ध्यान देना चाहिए । क्योकि जैसे संस्कार जीवन में आते जायेंगे, हमारा जीवन भी वैसा ही बनता चला जायेगा।
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