गाँधी जी और गुलाब के पौधे
shabermati aashram |
साबरमती के आश्रम में माघ का सूर्य चमक रहा था। चारों तरफ सुंदर –
सुरम्य पवित्र वातावरण था । चिड़ियों की चहचहाहट और राम नाम का सुमिरन आश्रम के
सुंदर वातावरण को और भी मंगलमय बना रहा था । हलके कोहरे में सूर्य देव ने दर्शन
दिए थे ।
‘बा’ बापू जी के पास आयी और बोली –“आज दोपहर धूप अच्छी खिली है, आप
कहे तो में आप के पैरों को साफ कर दूँ । आप के पैरों में बिवाई फट गयी हैं ।”
बापू जी ने बड़े स्नेह से कहा –“ उचित है । पर ध्यान रखना water की एक
भी बूंद बेकार न जाने पाए ।” Mahatma Gandhi ‘बा’ को हमेशा water बेकार न जाने पाए
इसकी हिदायत देते रहते थे ।
‘बा’ गरम पानी ले आयी और बापू जी के पैर धोने लगी । “पानी बेकार न जा
ने पाए इसलिए Gandhi ji की हिदायत के अनुसार ‘बा’ water को इधर – उधर न डाल कर, हमेशा
पौधे में डाल देती थी ।” आज वो बापू जी के पैरों को धोने के बाद बचे पानी को गुलाब
के पौधे में डाल दिया ।
beautiful rose plant |
Gandhi ji, गुलाब के पौधे को बड़ी देर तक नाराजगी भरी दृष्टि से देखते
रहे । उनको इस तरह गुलाब के पौधों को देखता देख ‘बा’ ने बापू जी से इसका कारण पूंछा
। तो बापू जी ने कहा –“ फूलों के ये पौधे सुंदर होते हुए भी मुझे काटों की तरह
बुरे लगते हैं । इन फूलों के पौधों के स्थान पर यदी शाक – सब्जी उगाये होते, तो
उनसे हममे से किसी का पेट तो पलता । पौधों के रख – रखाव का कुछ सार्थक परिणाम तो
हस्तगत होता ।”
friends, Gandhi ji हमेशा हर वस्तु का उचित और अधिक से अधिक वो सब के
लिए useful हो ऐसा प्रयास करते थे । वो हर पल का, हर वस्तु का सदुपयोग हो हमेशा इस
बात का ध्यान रखते थे और सभी को रखने की शिक्षा देते थे ।
Gandhi ji का जीवन स्वयं में एक पाठ शाला थी । उनकी शिक्षाओं को
जिसने भी अपने जीवन में उतरा है उनका जीवन धन्य और उपयोगी बन गया ।
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