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शनिवार, 28 सितंबर 2013

Kudos to wish- a motivational story in Hindi



यश की कामना

Kudos to wish

Kudos to wish

एक गाँव में दो मुर्गे रहते थे एक का नाम चमकू और दूसरे का चम्पू था । दोनों को हमेशा अपने यश की चिंता रहती थी, कि उनका yash दूसरे से ज्यादा हो। चूँकि दोनों ही अपने को श्रेष्ठ मानते थे इसलिए उनमें हमेशा प्रतिस्पर्धा छिड़ी रहती थी।  खुद को सर्व शक्तिशाली मनवाने के लिए दोनों हमेशा ही लड़ते रहते थे ।

एक दिन दोनों village में एक कूड़े के ढेर पर बैठे हुए धूप सेंक रहे थे । कि अचानक दोनों में खुद हो great बताने में बहस छिड़ गई औए ये बस इतनी बढ़ी की दोनों में बातों बातों से शुरू हो कर, हाथापायी में बदल गई। उनका ये fight देखने के लिए सारे मुर्गे और Chickens इकट्ठे हो गये।

चमकू और चम्पू एक दूसरे पर वार करने लेगे। कभी चमकू भारी पड़ता तो कभी चम्पू इस तरह उनका युद्ध बहुत बढ़ता ही गया, पर अंत में चम्पू, चमकू से शरीरिक रूप से बलवान होने के कारण जीत गया ; और चम्पू ने चमकू को पराजित कर भगा दिया।

ये युद्ध देख रहे मुर्गे – मुर्गियाँ ने चम्पू को घेर लिया और उसकी प्रसंशा करने लगे। वे सब चम्पू मुर्गे का यशगान करने लगे। वे उससे बोले तुम तो बहुत बलिष्ट औए श्रेष्ठ हो जो तुमने चमकू जैसे बलवान मुर्गे को हरा दिया।

चम्पू मुर्गा ने जब अपना यश गान सुना, तो वो ख़ुशी से फुला नहीं समाया और उसके ह्रदय में अपना यश और बढ़ाने कि कामना तीव्र हो गयी । और उसने उन सब मुर्गे और मुर्गियों से कहा कि आस- पास के हर गाँव में मेरी कीर्ति का बखान होना चाहिए, मेरा यश पहुँचना चाहिए।

अपने यश को चारों तरफ फैलाने की तीव्र कामना से वो एक बहुत ही ऊँचे टीले पर चढ़ गया और सब से बोला देखो में कितनी उचाई तक चढ़ सकता हूँ। इतने ऊँचे टीले पर क्या कोई दूसरा चढ़ सकता है । फिर उसने बड़े गर्व से अपने पंखों को फड़ फड़ाया और ऊँचे स्वर से बोला –“ मेरे समान यहाँ दूसरा कोई और मुर्गा नहीं है । मैं सब से बलवान हूँ । मैं एक विजयी मुर्गा हूँ ।”

चम्पू जब यह बोल रहा था तब उस ऊँचे टीले के ऊपर एक गिद्ध मडरा रहा था । उसने इतनी ऊँचाई पर चम्पू मुर्गे को अकेले देखा तो उसने एक झपट्टा मारा और चम्पू को अपने पंजों में दबोचकर उड़ गया ।

friends, चम्पू ने खुद को महान और विजयी तो मनवा लिया, पर महान बने के लोभ में अपनी life भी गवां दी । कभी- कभी यश,विजय और महानता की कामना व्यक्ति का सर्वनाश कर देती है ।


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As a child I always used to think that I have to be a scientist- A motivational article in Hindi

as a child i always used to think that i have to be a scientist 

टामस ऐल्वा एडिसन- बचपन में हमेशा यही सोचते थे, कि मुझे एक वैज्ञानिक बनना है-   

The great inventor टामस ऐल्वा एडिसन का जन्म ओहायो राज्य के Milan city में 11 फरवरी, 1847 ई. को हुआ था । एडिसन बचपन से ही वैज्ञानिक बनने की बात किया करते थे । पर उनका बचपन बहुत गरीबी में था । वे एक गरीब माँ के बेटे थे । इसलिए six year तक उनकी माता ने उनको घर पर ही पढाया।
एडिसन कि माँ हमेशा अपने son के dream को पूरा करने में help करने की सोचती रहती। पर उसके पास इतना धन नहीं था की वो अपने पुत्र को science की महंगी पढाई करा कर, एडिसन को वैज्ञानिक बना सके ।

एक दिन उनकी माँ ने सोचा यदी मैं एडिसन को किसी बड़े scientist के पास काम पर रख दूँ तो शायद मेरे बेटे की इच्छा को पूर्ण करने का समाधान हो जाये। ऐसा सोच कर वह एडिसन को एक वैज्ञानिक के पास ले गई । और अपने son एडिसन की desire के बारे में scientist से बात की ।

वैज्ञानिक ने एडिसन को एक झाड़ू देकर अपनी प्रयोगशाला की सफाई करने को कहा। एडिसन ने हर काम को बड़े ही करीने से किया । कहीं किसी कोने में भी गंदगी न छोड़ी और हर सामान सफाई के बाद यथा स्थान पर रख दिए।  

Scientist ने यह सब देख कर कहा –“इस child में scientist बनने के गुण हैं। आप इसे मेरे पास छोड़ दें । आप का यह बेटा वैज्ञानिक जरूर बनेगा । क्योंकि सफाई और व्यवस्था से मनुष्य के व्यक्तिव के विकास की क्षमता बढ़ती है और उसी से उसके विकास कि सम्भावना के स्तर का पता भी चलता है।  

friends, ये सच है व्यक्ति की quality और उसकी ability उसके कार्यों से, उसके behavior से ही चलती है । आप क्या सोचते हैं, आप क्या चाहते है सब कुछ के बारे में आप के कार्य, कार्यों को करने के तरीके से पता चलता है क्योंकि आप जो सोचते हो, चाहते हो, वैसा ही आप behave करते हो।
इसलिए हमे अपनी desire, अपनी सोच में और अपने action में सही ताल मेल जरूर बैठाना चाहिए।             


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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

Self-realization - a motivational story in Hindi (God Buddha)-आत्म- साक्षात्कार


 
Self-realization - a motivational story in Hindi
आत्म- साक्षात्कार

बात उन दिनों की है जब, भगवान बुद्ध अपना घर छोड़ कर सत्य की तलाश में निकल चुके थे और अपना डेरा नेरंजरा river के तट पर लगा लिया था। वो ज्ञान की तलाश में व्याकुल इधर से उधर घूम रहे थे ।  

एक दिन उनकी एक सहयोगिनी सुजाता ने उनके लिए खीर बनायी और बड़े प्रेम से बुद्ध के पास आयी और पूर्ण मातृत्व के साथ उनको खीर का भोग ग्रहण कने को दिया । बुद्ध ने उस खीर को ग्रहण किया और परम संतोष का अनुभव किया।

उस दिन उनकी जो समाधि लगी तो फिर वह पूरे six days के बाद सातवें दिन जाकर टूटी । पर इस बार वो जब समाधि से उठे तो उनको आत्म- साक्षात्कार हो चुका था । आत्म – साक्षात्कार अर्थात आत्मा से परमात्मा के संबंध का gyan हो चुका था ।

अब वो नेरंजना River के तट पर प्रसन्न मुख बैठे थे। उनको देखने आई Sujata को  भगवान बुद्ध को इतना light-hearted और Tranquil देख कर बड़ा विस्मय हुआ कि बुद्ध seven days तक लगातार एक ही आसन पर कैसे बैठे रहे ? और अब उठे है तो कितने प्रसन्न हैं जबकि समाधि से पहले कितने व्याकुल और व्यथित थे । सुजाता बुद्ध को देख यह सोच ही रही थी कि तभी सामने से एक शव लिए जाते हुए कुछ व्यक्ति दिखाई दिए । उस शव को देखते ही भगवान बुद्ध हँसने। सुजाता को अब और आश्चर्य हुआ और उसने बुद्ध से प्रश्न किया –“ ये योगिराज ! कल तक आप जिस शव को देख कर दुखी हो जाते थे, आज उसे देख कर आप हँस रहे हैं । आज आप का वह दुःख कहाँ चला गया ?”

भगवान बुद्ध ने कहा –“ बालिके ! सुख – दुःख मनुष्य की कल्पना मात्र है । कल तक जड़ वस्तुओं में आसक्ति होने के कारण यह भय था कि कहीं वह न छूट जाय – यह न छूट जाय, वह न बिछुड़ जाय- यह न बिछुड़ जाय । यह भय ही दुःख का कारण था, आज मैने जान लिया कि जो जड़ है, उसका परिवर्तन तो होना  पूर्णत: निश्चित है। पर जिसके लिए दुःख करते है वो न तो परिवर्तनशील है और न ही नाशवान। वो तो अविनाशी है अमर है। अब तू ही बता जो कभी न नष्ट होने वाला ज्ञान प्राप्त कर ले, उसे इस संसार की नाशवान वस्तुओं का क्या दुःख ?”

सुजाता भगवान बुद्ध का यह answer सुनकर प्रसन्न हो गयी और स्वयं भी आत्म – चिंतन में लग गयी।


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बुधवार, 25 सितंबर 2013

Shiva ji, Khichdi Teaches Strategies - Won the Empire


शिवाजी- खिचड़ी ने सिखाई रणनीती - जीता साम्राज्य
   
shiva ji 
friends आज जो मैं जो घटना आप के साथ share कर रही हूँ वो मराठा राजपुत्र शिवा जी महाराज के जीवन की है

बात उन दिनों की है, जब शिवा जी ने मुगलों के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा था । और  उस समय शिवा जी मुगलों के साथ छापा मार युद्ध कर रहे थे ।  युद्ध करते करते, एक दिन वे जंगल में फस गये और छिपते छिपाते वे एक वनवासी की झोंपड़ी पर पहुँच गये। वहाँ उनको एक बुढ़िया मिली, तो उसे देख- शिवा जी ने उस बुढ़िया से प्रार्थना की – “माँ मैं भूखा हूँ क्या मुझे भोजन मिल सकता है”

उस बुढ़िया ने बड़े सम्मान से कहा हाँ क्यों नहीं बेटा, तुम बैठो मैं अभी इंतजाम करती हूँ । बुढ़िया ने बड़े प्रेम से खिचड़ी बनाकर प्रेमपूर्वक शिवा जी को परोस दी।
शिव जी को भूख बहुत तेज लगी थी, इसलिए जल्दी खाने की आतुरता में उन्होंने अपना हाथ खिचड़ी के बीचों बीच डाल दिया और अपनी उँगलियाँ जला बैठे । old women ने यह दृश्य देखा तो उन्हें टोकते हुए बोली –“ तू देखने में लगता तो शिवा जैसा है और काम भी बिलकुल उसी की तरह मुर्खता के करता है ।” यह सुनकर शिवा जी हत स्तब्ध रह गये।

उन्होंने उस old women से पूछा – “ मैनें हाथ जलाए तो मुझे मुर्ख कहना समझ में आया , पर शिव जी ने क्या मुर्खता की ?”

वह old women बोली –“ तूने किनारे का ठंडा rise खाने की जगह बीच में हाथ डाला और जला बैठा । यही मूर्खता शिवा जी की भी है । वह मुग़ल साम्राज्य के दूर बसे छोटे किलों को आसानी से जीतने की जगह बड़े किलों पर हाथ डालता है और मात खा बैठता है ।” बात बड़े पते की कही थी old lady ने । शिवा जी को अपनी रणनीति की भूल का भान हुआ, और बूढी माँ को धन्यवाद देते हुए वे वहाँ से निकल पड़े और अपनी सामरिक नीति को दोबारा से तैयार किया । फिर वे छोटे लक्ष्यों को निर्धारित कर उन पर विजय प्राप्ति के पथ पर चल दिए और फिर छोटी छोटी  विजय प्राप्त कर अंततः बड़ा मोर्चा भी जीत लिया ।

friends यही नीति हमारे सब के जीवन संग्राम में भी महत्व देती है और हमारा साथ देती है । जो छोटे पर वास्तविक लक्ष्यों को भूल कर बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति में लगे रहते है और उसे ना प्राप्त कर हतोत्शाहित हो जाते हैं । इसीलिए जो मनुष्य छोटे व वास्तविक लक्ष्यों को लक्ष्य बना कर चलते हैं, वे उन्हें जीतते हुए अंततः जीवन के बड़े लक्ष्यों को जीतने में पूर्णत: सफल होते हैं। और अपने आत्म विश्वास को जीत की बुलंदियों तक पहुंचाते हैं।   


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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

A very beautiful Song 'maatr smaran' in Hindi - मातृ स्मरण


friends आज में एक बहुत ही beautiful song आप सब के साथ share करना चाहती हूँ जो October-2007 के अखंड ज्योति के अंतिम पृष्ठ पर में छपी थी । ये song  माँ कि ममता व उनसे मिले स्नेह को नमन करता है। इस गीत ने मेरे मन को इतना छुआ कि इस मातृ- गीत को मैने October- 2007 में अपनी डायरी में संकलित कर लिया था और आज पुनः गुरु देव श्री राम शर्मा आचार्य कि कृपा से ये आप सब के बीच में इस उद्देश्य से लाई हूँ कि ये net के द्वारा संसार के सभी गुरु भक्तों के पास पहुँच सके.. अगर मेरे प्रयास में कोई कमी रह गई हो तो मुझे क्षमा करें..
इसी क्षमा प्रार्थना के साथ ये पावन कविता जो गुरु माँ भगवती के लिए लिखी गई वो आप के बीच है.. जय गुरु देव, जय गुरु माँ
      
A very beautiful Song 'maatr smaran'

guru maa bhagvati devi 
maatr smaran 
  
 मातृ स्मरण


‘भक्ति’ रूपा भगवती माँ, ‘शक्ति’ शिव की को नमन ।
कोटि – कोटि पुत्र हित, माँ वत्सला का अवतरण ।।   
भाव के भगवान गुरुवर, आप संवेदन भरी ।
बालकों को स्नेह देने, स्नेह – सलिला अवतरी ।
भाव विहल बालकों का, हो गया माँ से मिलन ।।
भाव संवेदन पिलाकर, बालकों को ‘भक्ति’ दी ।
और छाती से लगाकर, निर्बलों को ‘शक्ति’ दी ।
युग सृजन के सैनिकों का, किया गढ़ करके सृजन ।।
          भूल पाते ही नहीं हैं, पुत्र माँ के स्नेह को ।
          आश्रय हित ढूढ़ते, संवेदना के गेह को ।
          आपकी स्नेहार्द्र छवि का, हो न पाता विस्मरण ।।
देख मानव वेदना को, छटपटाता है ह्रदय ।
याद आता है उसी क्षण, आपका ह्रदय – सदन।
डबडबा जाते मनुज की, वेदना से अब नयन ।।
          आपको संवेदना का, जो मरहम हमको दिया ।
दौड़ते लेकर उसे ही, दरद को हलका किया ।
          माँ ! यथा संभव करेंगे, दूर हम पीड़ा – पतन ।।
प्रार्थना है माँ ! हमें दें, भाव की ही संपदा ।
आपकी धड़कन, धड़कती रहे छाती में सदा ।
आपके हम बालकों का, आपको शत शत नमन ।।           


           Request- ये श्री राम शर्मा आचार्य,- शांतिकुंज हरिद्वार; जी की पुस्तक “अखंड ज्योति” से एक motivational thoughts पूर्ण song का collection “मातृ स्मरण है यह Hindi song आप को कैसा लगा? क्या ये आप के जीवन में भी मार्ग प्रशस्त करता है ? और क्या आप के जीवन में कही इसका अंश तो नहीं है..? please हमें ये comment के द्वरा जरुर बताने का कष्ट करें, और गर ये geet पसंद आये हो तो इसको share भी करें.. जिससे प्रेरणा दायक इन song की ये खोज और उनका collection जारी रहे, और आप सब तक पहुचता रहे                          
अंत में आप सब readers को मेरा धन्यवाद!  



Mahatma Gandhi’s Motivational Quotes in Hindi



Gandhi A Motivational Leader 

Mahatma Gandhi’s Motivational Quotes in Hindi     

In Hindi: अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदिगी का रास्ता है ।
In English: Ahimsa is religion, what is the way of life.

In Hindi: पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
In English: Hate the sin, not the sinner.

In Hindi: प्रार्थना नम्रता की पुकार है, आत्म शुद्धि का, और आत्म - अवलोकन का आवाहन है।
In English: Prayer is the call of modesty, self-purification, and self-observation is called for.

In Hindi: चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए।
In English: The purification of character should be the goal of all knowledge.

In Hindi: भूल करने में पाप तो है ही, पर उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है ।
In English: It is a sin to forget, but it is a bigger sin than to hide.

In Hindi: बुराई से असहयोग करना, मानव का सबसे बड़ा व पवित्र कर्तव्य है।  
In English: Non-cooperation with evil is a sacred duty and the greatest of humankind.

In Hindi: क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है ।
In English: Most helpful in conquering anger is muted.

In Hindi: आचरण रहित विचार, कितने भी अच्छे क्यों न हो, उन्हें खोटे – मोती की तरह समझना चाहिए ।  
In English: Conduct free idea, no matter how good they fake - like pearls should understand.

In Hindi: ईश्वर न काबा में है न काशी में है, वह तो हर घर घर में व्याप्त है, हर दिल में मौजूद हैं ।  
In English: God is not in the Kaaba and in Kashi, he is so rife in every home, present in every heart.

In Hindi: ह्रदय की कोई भाषा नहीं होती, ह्रदय ह्रदय से बातचीत करता है ।
In English: The heart has no language, Heart to heart talks.

In Hindi: वास्तविक सौंदर्य ह्रदय की पवित्रता में है ।
In English: In purity of heart is the real beauty.

In Hindi: मैं मानता हूँ कि जहाँ डरपोक और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हिंसा के पक्ष में अपनी राय लूँगा ।
In English: I agree that cowardice and violence, of which one to choose, Then I'll advise violence.

In Hindi: कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते लड़ते मर जाना ।
In English: From funky, more is better to die fighting.

In Hindi: कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं ।
In English: Some people dream of success while others wake up and work hard.

In Hindi: मरने के लिए मेरे पास बहुत से कारण है किन्तु मेरे पास किसी को मारने का कोई कारण नहीं है।
In English: There are many causes me to die, but I have no reason to kill someone.

In Hindi: यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है ।
In English: If man wants to learn, so every mistake he could give him some lessons.



Request- देश के परम पिता महात्मा गाँधी के ,- inspirational thoughts का collection Mahatma Gandhi’s Motivational Quotes in Hindi” यह Hindi article आप को कैसा लगा? क्या ये आप के जीवन में उपयोगी है ? please हमें ये comment के द्वरा जरुर बताने का कष्ट करें, और गर पसंद आये हो तो इनको share भी करें.. जिससे महापुरषों के सुविचारों कि ये खोज जारी रहे, और आप सब तक पहुँचती रहे।                            

अंत में आप सब readers को मेरा धन्यवाद! 


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