This
is a true, marvelous and pure love story
base on Marie Curie and Pierre Curie.
base on Marie Curie and Pierre Curie.
मैरी
क्यूरी और पियरे क्यूरी की अदभुत और पवित्र प्रेम कथा
Marriage
से पहले मैरी क्यूरी को सभी लोग मान्या (मैरी स्क्लोंदोव्स्का) के नाम से बुलाते
थे । और उनका पूरा नाम ‘मैरी स्क्लोंदोव्स्का’ था । मान्या की बड़ी
बहन ब्रोन्या सोरबोन peris में पढ़ना चाहती थी । वहीँ पर मान्या की भी यही इच्छा थी की वो भी अपनी study paris में पूरी
करें । पर उनकी इस इच्छा में उनकी आर्थिक मजबूरी आड़े आ रही थी । पर उन्होंने
हिम्मत नहीं हारी और paris में ही पढाई करने का निश्चय किया । इसके लिए paris में
मान्या ने governance की job कर ली ।
मान्या पेरिस के जिस घर में काम करती थी, उसी
घर में एक लड़का कसीमिर वारसा university में पढ़ता था । वह अपनी छुट्टियाँ बिताने
घर आया था। और अपने घर पर मान्या (मैरी स्क्लोंदोव्स्का) को देखते ही पहली
नज़र में उनको दिल दे बैठा ।
कसीमिर (पियारे क्यूरी) की mother को जब यह
पता चला, तो उसने खुल कर इस प्यार का विरोध किया और कहा कि मैं किसी गवर्नेस को
अपनी बहू नहीं बना सकतीं।
अपने first love में असफल होने के बाद कसीमिर
का हाल बहुत बुरा था। अब उसके जीवन में अपने first love में fail होने के बाद किसी
और woman का स्थान नहीं था।
संयोग से one day, इन दोनों कि पुन: भेट हो
गयी । इन दोनों की professor एम. कोब्लस्की के आवास पर अचानक मुलाकात हो गयी, जो उन दिनों
paris भ्रमण के लिए आये हुए थे ।
अपनी इस भेट के बारे में स्वयं मैरी ने बहुत
ही सुंदर वर्णन इन words में किया है –“ जब मैं वहां पहुची, तो 35 year old पियारे
क्यूरी एक window के पास खड़े थे । वह मुझे बहुत सजीला युवक लगा । उनकी आखों के
निश्छल भाव और उनके व्यक्तित्व से प्रकट होने वाली सहज लापरवाही ने मुझे एकदम
मोहित कर लिया। उनका धीरे – धीरे बोलना, उनका सरल और सादा व्यक्तिव, उनका एक साथ
ही गम्भीर और यौवन से पूर्ण होना मुझे एकदम भा गया ।”
उस समय पियरे paris के Institute of
Chemistry and Physics के president थे और अपने Scientific research के बल पर वह French scientists में अग्रणी बन चुके थे । और उनकों फ्रांस सरकार से मात्र three hundred franc का वेतमान मिलता था । पियरे क्यूरी मैरी स्क्लोंदोव्स्का से विवाह करना
चाहते थे, पर इतनी कम salary के कारण marriage का प्रस्ताव मैरी स्क्लोंदोव्स्का के
सामने रखने में हिचक रहे थे । पर क्या करें दिल के आगे सब मजबूर हो जाते हैं।
पियरे भी दिल के आगे मजबूर थे । और आखिर में डरते- डरते उन्होंने मैरी
स्क्लोंदोव्स्का के आगे विवाह प्रस्ताव रख ही दिया, और मैरी स्क्लोंदोव्स्का ने भी
इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया । इस तरह सन 1865 में मान्य,- मैरी
स्क्लोंदोव्स्का से मैरी क्यूरी बन गयी ।
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