उपकार
( ईश्वरचंद्र विद्या सागर- एक उपकार से जीवन बदल दिया )
ऐसे उपकारी जो जीवन को नयी दिशा दे . |
ईश्वरचंद्र विद्या
सागर
एक
बार
कहीं
जा
रहे
थे,
रास्ते
में
एक
लड़का
भीख
मांग
रहा
था,
उस
लड़के
ने
ईश्वरचंद्र
विद्या
सागर
जी
से
एक पैसा
माँगा,
ईश्वरचंद्र जी
ने
उस
लड़के
से
पूछा-
“ तुम
एक
पैसे
का
क्या
करोगे
?”
लड़के ने कहा-
“ साहब,
मैं
इस
एक
पैसे
से
अपना
पेट
भरूँगा,”
ईश्वरचंद्र जी
ने
फिर
पूछा-
“ यदी
में
तुम
को
दो
पैसे
दूँ
तो
?”
लड़के ने तब
उत्तर
दिया-“
तब,
मैं
एक
पैसे
से
अपना
पेट
भरूँगा,
और
जो
एक
पैसा
मेरे
पास
बचेगा,
उससे
मैं
अपनी
बूढी
माँ
के
लिए
चने
ले
जाऊंगा,”
ईश्वरचंद्र जी
ने
पुनः
उससे
पूछा-
“ तुम्हें
एक
रुपया
दूँ
तो
?”
इसपे लड़के
ने
कहा-“
साहब!
तब
तो
मैं
थोड़ा
सामान
खरीदूँगा
और
उसे
बाजार
में
जा
के
बेचूँगा,
धीरे-धीरे
करके
मैं
अपने
पैरों
पे
खड़ा
हो
जाऊंगा,
मुझे
अपनी
रोजी-रोटी
के
लिए
फिर
किसी
पे
निर्भर
नहीं
रहना
होगा,
और
ईश्वर
को
धन्यवाद
दूँगा,”
ईश्वरचंद्र विद्या
सागर
जी
ने
बड़ी
प्रसन्नता
के
साथ
उस
लड़के
को
एक रुपया
दे
दिया,
उनदिनों
एक
रूपये
कि
बहुत-बड़ी
कीमत
होती
थी,
कुछ समय
बाद
वही
लड़का
ईश्वरचंद्र
जी
को
दुबारा
दिखा,
वह
एक
छोटी
सी
दुकान
पे
बैठा
था,
ये
दुकान
उसकी
खुद
कि
थी ,उस एक रूपये से जो
ईश्वरचंद्र ने उसे दिए थे,
ईश्वरचंद्र जी
को
देखते
ही
लड़का
तुरन्त
दुकान
से
बाहर
आया
और
उनके
पैरों
पे
गिर
पड़ा,
लड़के
कि
आखों
में
श्रद्धा
के
आसूं
थे,
वो
रुंधे
हुवे
गले
से
ईश्वरचंद्र
जी
से
बोला
–“ साहब!
आपके
उपकार
ने
मेरा
जीवन
बदल
दिया,
मेरा
भीख
मांगना
सदा
के
लिए
छूट
गया,
मैं
भी
इस
समाज
का
एक
अच्छा
नागरिक
बन
गया,”
ईश्वरचंद्र जी
ने
उस
लड़के
को
गले
लगा
लिया
और
उससे
बोले-
“बेटा
तुम
भी
सदा
ऐसे
ही
दूसरों
कि
सहायता
करना,”
Note:
This
motivational story shared here is not my original creation, I have read it
before and I am just providing it in my own way in Hindi language.
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