हंस – एक विवेकशील प्राणी
A Rational Creature |
Hans - A Rational Creature
एक
बार एक बरगद के पेड़ पे दो पंछी हंस और बगुला आपस में बाते कर रहे थे/ बगुले ने हंस से पूछा-“ क्यों श्रीमान! यह बताइए कि संसार आप को इतना ज्ञानी क्यों मानता है जबकि आप भी हमारी तरह एक पंछी ही तो है”, हंस ने बगुले के ताने को हस कर टाल दिया/
तभी
वहां पे एक man एक
कटोरे में milk ले
के आया और उसको बरगद के पेड़ के नीचे हंस के लिए रख दिया/ हंस उस दूध को पीता उससे पहले ही बगुले ने उसमें अपनी चोंच मारी, पर थोडा दूध पी कर उसने बाकि सारा दूध उड़ेल दिया और कहा –“ अरे इसमें से तो मछली कि बदबू आ रही है/”
One Question... for great life |
बगुले
कि इस बात को सुन कर हंस खिल –खिला कर हस पड़ा और बगुले से बोला –“ बगुला भाई! दूध तो साफ और pure है, पर आप ने अपने मुह में मछली दबा रखी है इसलिए आप को दूध में दुर्गंध आई/” इतना कह के हंस आगे बोला –“ जब हमारे मन में कुटिलताएं और कलुष होता है तो हमें सारी दुनिया बद्सूरत दिखाई देती है, पर यदी हमारा मन साफ, पवित्र और परिष्कृत होता है तो हमें सारे universe में सौंदर्य ही सौंदर्य दिखाई पड़ता है/”
हंस
कि बात सुनकर बगुले को पता चल गया कि क्यों world
में हंस को नीर – छीर का ज्ञान रखने वाला Solomon
और विवेकशील प्राणी मानते है/
दोस्तों
हंस और बगुले कि तरह ही हम सब भी है जिस तरह का हमारा मन और हमारी सोच होती है उसी के आधार पे हमे अपने आस-पास का संसार दीखता है और हम अपने जीवन को उसी के आधार पे direction
देते है इसलिए हमे हमेशा अपने मन को “positive
or pure” रखने का प्रयास करना चाहिए क्योकि जैसा हम सोचेगे वही हम देंखेंगे और जैसा देंखेंगे वेसा ही करेंगे और जैसा करेंगे वेसा ही पाएंगें/”
Note: The motivational story shared here is not my original
creation, I have read it before and I am just providing it in Hindi.
Nice
जवाब देंहटाएंhttp://managementlearningcenter.blogspot.com
Good job
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