एक घड़े की यात्रा
A beautiful Pitcher |
Journey of a Pitcher
एक कुम्हार था वह
बहुत ही सुंदर – सुंदर मिट्टी के बर्तन बनाता था । एक दिन उसने एक घड़ा बनाया और उस पर उसने विभिन्न रंगों से बहुत ही सुंदर
चित्रकारी कर दी । घड़ा इतना सुंदर बना था कि उसे देख स्वयं कुम्हार भी अचम्भित था
कि उसकी रचना इतनी सुंदर बन सकती है कि सब का मन मोह ले ।
कुम्हार ने pitcher बेचने के लिए बाहर रखे दूसरे
बर्तनों के साथ उसे रख दिया । एक साहूकार कुम्हार से बर्तन खरीदने आया, तो बर्तनों
के बीच रखे उस घड़े को देखता ही रह गया और कुम्हार से बोला ये घड़ा तो बड़ा ही सुंदर
और अदभुत है इसे इसतरह तुमने क्यों रखा है ? तब कुम्हार ने कहा श्रीमान् जी इसे
मैने बेचने के लिए रखा है। इस पर साहूकार बोला अरे ! मैने इतना सुंदर घड़ा अपने जीवन
में कभी नहीं देखा । इतने सुंदर घड़े को बेच कर तुझे कितना rupeeya मिलेगा... जा
इसे राजा को भेट कर दे, वो इस सुंदर घड़े को देख कर अति प्रसन्न होंगे और तुम्हें इनाम
में ढेर सारा gold भी देंगे, जिससे तेरा सारा जीवन सवंर जायेगा ।
Journey of a Pitcher |
घड़ा ये सब देख और सुन रहा था, घड़े को कुम्हार
और साहूकार की इस प्रसंशा ने मोहित कर दिया । उसे खुद पर गर्व हो आया, कि उससे
सुंदर घड़ा कभी नहीं बना और वो संसार का सब से सुंदर घड़ा है । वह अपने दूसरे बर्तन
साथियों से बोला, देखो में कितना सौंदर्यवान हूँ कि मेरा रचियता मुझे raja को भेट
करेगा और मैं अब raja के Palace में शान से चिरकाल तक विराजित रहूँगा और तुम सब बेच
दिए जाओगे, तुम सब को तो यह भी पता नहीं की तुम्हारा new owner तुम सब के साथ कैसा
व्यवहार करेगा ।”
तभी आँधी चली और घड़ा लुढका और टुकड़े - टुकड़े
हो कर बिखर गया । और जब वह टुकड़े – टुकड़े हो कर बिखरा तो वह God को कोसने लगा –“
तु कितना निष्ठुर है व तुमसे मेरी ख़ुशी देखी नहीं गयी, जो तूने मेरे साथ ऐसा किया ।
तू सदा से ऐसा ही निर्दयी है । तू हमेशा
हँसते – खेलते लोंगों के अस्तित्व को हमेशा के लिए मिटा देता है ।”
earth mother |
Pitcher टुकड़े - टुकड़े हो कर, जिन धरती mata की
गोद में जा गिरा था । उनने घड़े की बात सुनकर घड़े से कहा – पुत्र शांत हो जाओ, तुम
मुझसे ही जन्मे हो , इसलिए तुमको समझा रही हूँ । जब तुम को कुम्हार ने गढ़ा तो
तुम्हें घड़े का रूप मिला और तुम उपयोगी बने और तुमको आनंद प्राप्त हुआ, पर जब तुम
गिर कर टुकड़े – टुकड़े हुए हो तो तुम्हें नहीं पता तुमको क्या मिला... तुम किस
अनंतता में विलीन हो गये हो । इस अनंत से मिलना तो स्वयं में एक वरदान है इसे
स्वीकार करो । पुत्र ! तुम्हारा अहंकार से पूरित ये शरीर मिटा है न कि तुम्हारी
आत्मा, वो अमिट है, अनंत है ।”
धरती माँ की ये बात सुन घड़े का क्षोभ मिट गया
और उसे शांति मिली ।
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